Tuesday, 4 February 2014

Rivers and Tank । नदिया और तालाब

बुंदेलखंड (bundelkhand) के लोककवि घाघ ने कहा था, 'अपने करे नसैनी, दैवइ दोषन देय' यानी खुद ही अपनी बर्बादी का इंतजाम करो और बाद में किस्मत को दोष दे दो।
हरियाली और पानी को तरसते बुंदेलखंड (bundelkhand) पर ये पंक्तियां एकदम सटीक साबित होती हैं। जिस धरती की कोख से लगभग 40,000 कैरेट हीरा निकाला जा चुका है और 14,00,000 कैरेट हीरे का भंडार मौजूद है, वह धरती आज बंजर होती जा रही है तो इसके लिए प्रकृति कम और इंसानी कुप्रबंधन ज्यादा जिम्मेदार है।
मेंथा के कारण क्षेत्र की सर्वाधिक उपजाऊ बेल्ट जालौन, उरई और झाँसी (Jhansi)आज बंजर होने के कगार पर हैं। इस इलाके की जीवन रेखा यहां के तालाब थे लेकिन आज अधिकांश तालाब सूख गए हैं। महोबा के मदन सागर, कीरत सागर, कल्याण सागर, विजय सागर और सलालपुर तालाब के बड़े हिस्से पर स्थानीय लोगों ने कब्जा जमा लिया है। बात चाहे कजरी की हो या आल्हा की। बुंदेलखंड (bundelkhand) के उत्सवों और लोक-परंपराओं का पानी के साथ गहरा नाता रहा है। लेकिन ये परंपराएं क्या टूटीं, प्रकृति ही रूठ गई। महोबा के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह का कहना है कि समस्याओं का समाधान इन्हीं लोक-परंपराओं में मिल सकता है और अगर परंपराएं नहीं रहीं तो कोई भी पैकेज बुंदेलखंड (bundelkhand) को नहीं बचा पाएगा। ऐसे में बुंदेलखंड (bundelkhand) में हीरा तो मिलेगा लेकिन पानी नहीं और रहीमदास कह गए हैं कि बिन पानी सब सून।

बुंदेलखंड (bundelkhand) में पानी और फसल के लिए तरस रहे हैं किसान ग्रेनाइट पत्थर की कटाई से निकली धूल ने खेतों को बना दिया बंजर खनन के लिए जंगलों को काटा गया और बारिश गई रूठ कम बारिश की वजह से तालाब सूखे, भूजल स्तर गिर गया बुंदेलखंड (bundelkhand) के तालाबो और पानी की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने करोडों रूपए लगाये हैं लकिन उनका नतीजा कुछ भी नहीं मिला है जिसका एक मात्र कारन है की वो पैसा उन योजनाओ पर पूरी तरह से खर्च ही नहीं हुआ अगर सरकार बुंदेलखंड (bundelkhand) मैं पानी की समस्या का निराकरण चाहती है तो सरकार को चाहिए की जो तालाब कुंए वावरी जो की पहले बनवाए जा चुके है उनका केबल जीर्णोद्धार करवा करके भी यहाँ की पानी की समस्या को सुलझाया जा सकता है क्योंकि जो तालाब बुंदेलखंड (bundelkhand) मैं बनाये बनाये गए हैं उनकी भोतिक बनावट कुछ इस तरह की है की एक तालाब मैं पानी भर जाने के बाद उसके निकासी से दुसरे तालाब मैं ही उसका पानी जाता है इसलिए यदि राज्य सरकार उन समस्त जल संसाधनों का जीर्णोद्धार करवा के भुन्देल्खंड से पानी की समस्या को पूर्ण रूप से कतम करवा सकती है चंदेलों ने बुंदेलखंड (bundelkhand) क्षेत्र को एक विकसित क्षेत्र के रूप में पहचान दी थी। उन्होने बुंदेलखंड (bundelkhand) क्षेत्र में चंदेली तालाबों का निर्माण कराकर उनके किनारों पर बस्तिया बसाकर बुंदेलखंड (bundelkhand) क्षेत्र को कृषि के क्षेत्र में अग्रसर किया था। उस समय धान, गन्ना, वनोजप और धी को पैदावार खूब होती थी। चंदेरी का एक पानुसाह सेठ अपने टाढे लेकर इस क्षेत्र में व्यापार करने आते थे तभी से जैन व्यवसायी भी इस क्षेत्र में भाये, क्षेत्र में गुड खूब बनाया जाता था। गन्ने की पिराई वाले पत्थर के काल आज भी गांव–गांव में जाने जाते है।
चंदेल राजाओं ने मंदिर स्थापत्य कला, मूर्ति स्थापत्य कला, तालाब स्थापत्य कला पर काफी जोर दिया था। गांव–गांव के चंदेली तालाब और खजुराहों के विश्व प्रसिद्ध मंदिर एवं अजयगढ़ के महल चंदेल काल की कला के सर्वोच्च नमूने है जो विश्वप्रसिद्ध है।

बुंदेलखंड (bundelkhand) की प्रसिद्ध नदियाँ

बेतवा नदी :- बेतवा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह यमुना की सहायक नदी है। यह मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा,झाँसी (Jhansi), जालौल आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी (Jhansi)के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई 480 किलोमीटर है। यह हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। इसके किनारे सांची और विदिशा के प्रसिद्ध व सांस्कृतिक नगर स्थित हैं।

केन:-यमुना की एक उपनदी या सहायक नदी है जो बुंदेलखंड (bundelkhand) क्षेत्र से गुजरती है। दरअसल मंदाकिनी तथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगासे जा मिलती है। केन नदी जबलपुर, मध्यप्रदेश से प्रारंभ होती है, पन्ना में इससे कई धारायें आ जुड़ती हैं और फिर बाँदा, उत्तरप्रदेशमें इसका यमुना से संगम होता है। इस नदी का "शजर" पत्थर मशहूर है।

विन्ध्याचल :-विन्ध्य का पठार- मालवा पठार के उत्तर में तथा बुंदेलखंड (bundelkhand) पठार के दक्षिण में विन्ध्य का पठारी प्रदेश स्थित है। इस प्रदेश के अन्तर्गत प्राकृतिक रूप से रीवा, सतना, पन्ना, दमोह, सागर जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 31,954 किलोमीटर है। विन्ध्य शैल समूह के मध्य (आधा महाकल्प) आर्कियन युग की ग्रेनाइट का प्रदेश टीकमगढ़(tikamgarh), पश्चिमी छतरपुर (chhatarpur) , पूर्वी शिवपुरी और दतिया में पड़ता है।

नर्मदा :-‘नमामि देवि नर्मदे’ मेकलसुता महीयसी नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे पुरानी, प्रमुख और भारत की पाँचवी बड़ी नदी है। विन्ध्य की उपत्यकाओं में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। जहाँ की जैव विविधता अत्यन्त समृद्ध है। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है।

धसान :-रायसेन जिला के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सिलवानी तहसील की सिरमऊ, बेगमगंज तहसील की पिपलिया जागीर, बील खेड़ा, रतनहारी, सुल्तानागंज, उदका, टेकापार कलो, बिछुआ, सनेही, पडरया, राजधर, सोदतपुर ग्रामों के समीप से प्रवाहित होकर सागर जिले के नारियावली के उस पार तक बहती है।

चम्बल:-यह नदी मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सीमा रेखा बनाती है। यह पश्चिमी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है। जो यमुना नदी के दक्षिण की ओर से जाती है। पहले यह उत्तर-पूर्व की ओर फिर पूर्वी दिशा की ओर बहती हुई विसर्जित हो जाती है।

सिंध:-सिंध नदी मध्यप्रदेश के गुना जिले के सिरोंज के समीप से उद्गमित होती है। गुना, शिवपुरी, दतिया और भिण्ड जिलों में यात्रा करती हुई सिन्ध इन क्षेत्रों को अभिसिंचित करती है। इसके तट पर अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल मानव मन को उद्वेलित करते हैं। इसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव दतिया-डबरा के मध्य उत्तर-दिशा की ओर बहकर चम्बल नदी है।

मंदाकिनी:-चित्रकूट भगवान राम की कर्मस्थली रही है। जहाँ भगवान राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष का वनवास काटा चित्रकूट विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी पर अवस्थित है। इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित महर्षि अत्रि एवं माता सती अनुसुइया आश्रम से पयस्विनी मंदाकिनी का उद्गम हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सती अनुसुइया ने अपने तपोबल से मंदाकिनी को उत्पन्न किया था।

यमुना:-यमुना नदी का अपभ्रंश नाम जमुना भी है इसे कालिंदी और कई नामों से जाना जाता है। बुंदेलखंड (bundelkhand) में यमुना, केन और चन्द्रावल नदियों के बीच का पठारी असमतल भाग ‘तिरहार क्षेत्र’ कहलाता है। उत्तर से यमुना नदी एवं दक्षिण में तीव्र प्रपाती कगार, मध्य उच्च प्रदेश की सीमा बनाते हैं। इस प्रदेश की ऊँचाई पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ती जाती है।

किलकिला:-किलकिला नदी का उद्गम पन्ना जिले की बहेरा के निकट छापर टेक पहाड़ी से हुआ है। यह नदी पन्ना से उद्गमित होकर पन्ना जिला में ही प्रवाहित केन नदी में विसर्जित हो जाती है। यह पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा को बहती है।

उर्मिल:-उर्मिल सिंचाई परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। जो छतरपुर (chhatarpur) -कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। उर्मिल बाँध का निर्माण उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है तथा नहरों का निर्माण मध्यप्रदेश शासन ने किया है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से रवि फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है।

पहुँज:-बालाजी सूर्य मंदिर-दतिया से 17 किलोमीटर की दूरी पर उनाव गाँव में ब्रह्मबालाजी का सूर्य मंदिर है, जो पुष्पावती के पश्चिमी घाट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि पहुँज में नहाने और बाला जी की सूर्य यंत्र की काले पत्थर की प्रस्तर प्रतिमा को जल चढ़ाने से चर्म रोगादि से मुक्ति मिलती है। बाला जी का यह मंदिर अपनी विशालता एवं भव्यता के लिए जाना जाता है। यह दतिया जिले का एक महत्वपूर्ण मंदिर है।

टोंस:-टोंस का मैकल की पहाड़ियों तमसा कुण्ड से उद्गम हुआ है। इस नदी को टमस या तमसा भी कहते हैं। छत्रसाल के जमाने की बुंदेलखंड (bundelkhand) की पूर्वी सीमा टोंस नदी बनाती थी। इतना ही नहीं उनके शासित बुंदेलखंड (bundelkhand) की चारों दिशाओं की सीमायें प्राकृतिक रूप से चार नदियाँ ही निर्मित करती थीं। विन्ध्याचल का पूर्वी भाग कैमूर पर्वत श्रेणी है जो मिर्जापुर तक विस्तारित है। यह पर्वत श्रृंखला सोन और टोंस नदियों को एक दूसरे से अलग करती है।

चेलना नदी:-पावा क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों का तीर्थ स्थल है। इसी क्षेत्र के दक्षिण, पश्चिम की ओर चेलना नदी बहती है। यह बेतवा की सहायक नदी है। चेलना आगे चलकर बेतवा में मिल जाती है। दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पावा जी क्षेत्र से जैन मुनि को मोक्ष मिला था। यहाँ की पहाड़ी सिद्ध पहाड़ी कहलाती है।

जामनेर:-इस नदी का प्राचीन पौराणिक नाम जाम्बुला है। यह बेतवा की सहायक नदी है। जामनेर की सहायक नदी यमदृष्टा है। जो आजकल जमड़ार नाम से जानी जाती है। जमड़ार नदी टीकमगढ़(tikamgarh) से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित कुण्डेश्वर शिवतीर्थ से गुजरती है। कुण्डेश्वर इस क्षेत्र की आस्था का केन्द्र है जो समुद्र तल से 1255 फुट की ऊँचाई पर स्थित ‘शिवपुरी’ नाम से भी जाना जाता है।

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