Friday 7 February 2014

किला समथर :–

किला समथर :–

किला समथर (शमशेरगढ़) वर्तमान में झाँसी जिले के पूर्वोत्तर भाग में 25–51 उत्तरी अक्षांश और 78–55 पूर्वी देशांतर पर स्थित है। आजादी 1947 ई. के पूर्व समथर एक स्वतंत्र ट्रीटी स्टेट था, जो बेतवा और पहुज नदीयों के मध्य था। समतल नदी भूमि में नगर और किला होने के कारण इसका नाम सरथर दिया गया है। 16वीं शदी में मुगल सम्राट बाबर की ओर से ऐरछ में शमशेर खां सूबेदार नियुक्त था, जिसने अपने नाम पर एक किला बनवाया था और उसका नाम शमशेरगढ़ रखा था।श् शमशेरगढ़ किला एवं बस्ती कालांतर में समथर नाम से लोक प्रसिद्ध हो गया था।
किला समथर समतल भूमि पर निर्मित है, जिसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा को है। किले के चारों ओर 60 फुट चौड़ी एवं 20 फुट जल–पंक से भरी खाई है। खाई के भीरती भाग में 40 फुट ऊंची दीवार है, जो 20 फुट जल में एवं 20 फुट खाई के जल के ऊपर है। ताप्पर्य है, कि मुख्य दरवाजे के अतिरिक्त किले में प्रवेश असंभव है। किले के मुख्य प्रथम परकोटा दरवाजा के सामने खाई पर पुल निर्मित है, जिसके इस पार अर्थात पूर्वी भाग में एक किला मैदान हैं। इस मैदान के पूर्वी भाग में सामान्य चौड़ा द्वार है, जो सीधा कटरा बाजार के दोनों ओर चौकियों से जुड़ी हुई खाई तक भित्ति है।
चौकी द्वार से किला मैदान के बाद पुल पार करते हुए परकोटा में निर्मित विशाल सिंह दरवाजा पहुँचते है। दरवाजे के दोनों ओर सुरक्षा सैनिकों की बैठके है। सिंह दरवाजें के आगे दूसरा परकोटा है, जिसमें शंकरजी और गणेशजी की मूर्तियां है। इससे आगे दूसरा दरवाजा है, जो 40 फुट ऊंचे दूसरे परकोटे का द्वार है। दूसरे परकोटे के बाद तीसरा परकोटा है, जिस पर दालान और खिडकियां है। जिनसे दूर–दूर की चौकसी की जाती है। इसके आगे तीसरे परकोटा का हाथी दरवाजा है, इसमें लोहे का बहुत मजबूत फाटक लगा है। इस दरवाजे के पास की गुर्ज में संुदर बैठक है, जो सुरक्षा अधिकारियों के लिए रही है।

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