Friday, 24 January 2014

बुन्देलखंड की ऐतिहासिक कवि और रचनायें

 1.  आचार्य केशवदास :– आचार्य केशवदास ओरछा राज दरबार के प्रतिष्ठित विद्धान पंडित एवं कवि थे ओरछा के महाराजा रामशाह उनके छोटे भाई इन्द्रजीत एवं वीरसिंह देव के उनका बड़ा आद करते थे, उन्होने रामचंदिका, वीरसिंह देव चरित्र, जहांगीर जसचंद्रिका, रतन वाउनी जैसे महत्वपूर्ण ग्रथों की रचना की थी। इनका जन्म संवत् 1612 लिखा गया है कुछ लोगों ने संवत् 1618 लिखा है।
2.  आचार्य पद्माकर :– आचार्य पदमाकर का मूल नाम प्यारेलाल था। इनका जन्म विक्रम संवत् 1810 में सागर में हुआ था। इनके पिता मोहनलाल भट्ट सागर थे। सागर से यह बाद में बांदा चले गये थे। कुछ समय वह हिम्मत बहादुर गोस्वामी ‘‘मोधा’’ के दरबार में भी रहे इन्होने हिम्मत बहादुर विरूदावली ग्रंथ लिखा जिसमें नौने अजु‍र्नसिंह सूपा और हिम्मत बहादुर के मध्य हुये युद्ध का वर्णन है। उन्होने प्रताप शाह विरूदावली, अजु‍र्न रायसा, रामरसायन आदि ग्रंथ भी रचे थे।
3.  राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त :– इनका जन्म 3 अगस्त 1886 को सेठ रामचरण कनकने चिरगांव के धर हुआ था। इनकी माता का नाम कौशल्याबाई था। इन्होने भारत–भारती, यशोधरा, साकेल जैसे महत्वपूर्ण काव्य ग्रंथों की रचना की थी। गांधी जी ने इन्हे राष्ट्रकवि की संज्ञा प्रदान की थी।
4.  वृंदावन लाल वर्मा :– बाबू वृंदावन लाल वर्मा का जन्म मऊरानीपुर (झांसी) में 9 जनवरी 1889 को हुआ था। उनके पिता श्री अयोध्याप्रसाद श्रीवास्तव कानूनगो थे। वृंदावन लाल वर्मा झाांसी में एक अच्छे वकील थे इन्होने गडकुडार, झासी की रानी, हंसमयूर, माधवराव सिंधिया, मृगनयनी, ललित विक्रम, भुवन विक्रम, रामगढ़ की रानी, महारानी दुर्गावती, अब दया हो, सोती माता जैसे ऐतिहासिक उपन्यास, लग्न संगम, प्रत्यागत, कुंडली चक्र, प्रेम की भेंट, मंगलसूत्र, राखी की लाज, अचल मेरा कोई, बांस की फांस, कनेंर, पीले हाथ, नीलकंठ, केवट, देखादेखी, उदय, किरण, आहट जैसे सामाजिक उपन्यास लिखे अनेक नाटक, एकांकी, कहानियों की रचना की। आपनकी रचनाओं का अनुवाद विदेशी भाषाओं में भी हो गया है। 23 फरवरी 1969 को आपका निधन हो गया था।
6.  सियाराम शरण गुप्त :– आप राष्ट्रीय कवि मैथलीशरण गुप्त के छोटे भाई थे। इनका जन्म 4 सितंबर 1895 को हुआ था। आप दुख, वेदना और करूणा के कवि थे। आपने मौर्य विजय अनाथ आद्र्रा, विशाद, दूरवादल, गोपिका, बापू, खंडकाव्य लिखे है, मानुषी पुण्य पर्व नाटक है। नोवारवाली में जयहिन्द, पाथेय, मृगमयी काव्यगं्रथ है। अंतिम अकांक्षा, नारी और गोद, उपनिष्द है। आप 29 मार्च 1963 को दिवंगत हो गये थे।
7.  डॉ. रामकुमार वर्मा :– आपका जन्म 15 सितंबर 1905 को सागर के गोपालगंज मोहल्ले में हुआ था। आप इलाहबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। आपने चित्तौड विजय, वीर हम्बीर प्रबंध काव्य, निसीथ, बालिवध, एकलव्य खंडकाव्य, पृथ्वीराज की आंखें, रेशमी टाई, कुुंती का परिताप, शिवाजी, रिमझिम, कौमदी महोत्सव जैसे ऐतिहासिक एकांकी लिखे है। आपने साहित���य की महान सेवा की। हिन्दी साहित्य के महान विद्धान थे। 5 अक्टूबर 1996 को आपका देहांत हो गया था।
8.  अंबिका प्रसाद दिव्य :– श्री अंबिका प्रसाद दिव्य अजयगढ़ के कायस्थ परिवार 16/03/1907 को जन्मे थे वह मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग में थे। उन्होंने खजुराहों की अतिरूपा, प्रीताद्री की राजकुमारी, काला गौरा, सती का पत्थर, फजल का मकबरा, जूठी पातर जय दुर्ग का राजमहल, असीम की सीमा, प्रेमी व पत्नी, निमियां मनोवेदना, वेलकली, गांधी परायण, अंतलात���, रामदर्पण, खजुराहो क��� रानी, दिव्य दोहावली, पावस विपासा, स्त्रोतस्वनी, पश्यंती, चेतयंती, अन्नन्यमनसा, विचित्रपंती, भारगीत, लंकेश्वर, भोजन नंदन केस, निर्वाणपथ, तीन पग, कामधेनू, सूत्रपात, चरणचिन्ह, प्रलय का बीज, रूपक सरिता, रूपकमंजरी, फूटी आंखे, भारत माता, झांसी की रानी जैसे नाटक और दीपसरिता, हमारी चित्रकला, लोकोत्ति, खजुराहो चित्रावली जैसे प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की है। आपने वीमन आॅफ खजुराहों पुस्तक अंग्रेजी में लिखी है। आप 5 दिसंबर 1986 को दिवंगत हो गये थे।


बुन्देलखंड में संस्कृत साहित्य के उद्भट विद्वान :–
1.  आदिकवि वाल्मिकि:- रामायण के लेखक आदिकवि वाल्मिकि का जन्म या आश्रम लालापुर (चित्रकूट) नामक पहाड़ी मानी जाती है।
2.  महर्षि वेदव्यास :– कालपी के थे जिन्होने 18 पुराण और महाभारत लिखी श्री मद्भागवत सर्वार्धिक लोकप्रिय गं्रथ है।
3.  विष्णु गुप्त (चाणक्य) :– पन्ना जिला के चणक (नचना) ग्राम के थे। इनको कौटिल्य, विष्णुगुप्त ’चाणक्य’ कहा जाता था। कौटिल्य का अर्थशास्त्र इनका महान ग्रंथ है। वे चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे।
चाणक्य कौटिल्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। उन्होने नदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। वे राजनीति और कूटनीति के साक्षात् मूर्ति थे। उनका अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे। उनके नाम पर एक धारावाहिक  बना था जो दूरदर्शन पर १९९० के दशक में दिखाया जाता था ।
दुनियाँ मुख्यत: मैकियावेली को ही जानती है। भारतीय होने के नाते हम कम से कम इतना तो ही कर ही सकते है कि सर झुका कर उस महान शख्सियत को नमन करें जिसका नाम था - चाणक्य। 4.  भवभूति :– इनका जन्म पद्मपुर पवाया था। इनका ग्रंथ उत्तर रामचरित्र है।
5.  कृष्णमित्र :–यह महोबा के चंदेलों के आश्रयदाता थे। इनका ग्रंथ प्रबोध चंद्रोदय है।
6.  मित्र मिश्र :– यह ओरछा नरेश महाराज वीरसिंह देव के दरवारी कव​ि थे इनका ग्रंथ वीर मित्रोदय प्रसिद्ध गं्रथ है।
7.  महावीर प्रसद  इनका समय 1834 से 1928 रहा। इनका जन्म झांसी में हुआ था।
8.  रामदयाल पंडित :– इनका जन्म दतिया के निकट ढढौली में हुआ था।
9.  रामनाथ चतुर्वेदी (1896–1938) :– आप जालौन जनपद में कौंच निवासी थे। गीत संग्रह, पद्य पेतिका, नयन दुर्गा स्तवा तथा रसमंजरी टीका लिखी।
10.  पंडित सुधाकर शुक्ल :– इन्होने गांधी सौगंध, भारतीय स्वयंवरम्, आर्यसुधारकम्, छंदी अलंकार कई ग्रंथ लिखे। आप दतिया के निवासी थे।
11.  पंडित रामजी उपाध्याय :– सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में संस्कृत के विभागाध्यक्ष थे।
12.  पन्नालाल जैन :– सागर जिले के परगुआं गांव में पैदा हुये थे।
13.  जानकी प्रसाद द्विवेदी :– यह गढ़ाकोटा सागर के थे।
14.  डॉ. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘‘वागीश’’ :– आपका जन्म बिलैया (सागर) में संवत् 1991 में हुआ था।
15.  पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित :– यह झांसी के थे। आपने वीरप्रताप नाटक भारत विजयं संस्कृत विषयं, गांधी विजयं कई ग्रंथ लिखे।
16.  पं. छोटे लाल गोस्वामी :– यह दतिया के थे। इन्होने श्री बालाजी श्लोकष्टकम् ग्रंथ लिखा।
17.  डॉ. कैलाश नाथ द्विवेदी :– आपका जन्म कौंच में हुआ था। अपराजित तथा लेखांजली कई गं्रथ लिखे।
18.  डॉ. हरिराम मिश्र :– यह पन्ना के थे। इनका जन्म विक्रमी संवत् 1969 में हुआ था। आप महाराजा कॉलेज छतरपुर के प्राचार्य थे।
19.  डॉ. श्याम सुंदर बादल :– इनका जन्म संवत् 1964 धाटकोटरा झांसी में हुआ था। इन्होने टीकाकार मल्लीनाथ ग्रंथ की रचना की थी।

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